मेरा भविष्य !

पापा उसे अपना भविष्य बुलाते हैं! 

क्या दीदी और मैं पापा का भविष्य नहीं बन सकते थे? 

क्या हम बहनें पापा मम्मी के परिवार को पूरा नहीं कर सकती थीं? 

जब तक छोटा नहीं आया था , क्यूँ हर Aunty आकर मेरी mummy को लड़का होने का उपाय बताती थीं? 

मैं चुप चाप सुनती थी । वह मुझे mummy की गोद में बैठा देख कर भी , मेरे लड़की होने पे दुःख जताती थीं । 

दीदी मुझे हमेशा कहती थी , हम पापा का बेटा बनेंगे । और वह हमेशा कोशिश भी करती थी बेटा बन ने की । 

पर क्या छोटे के आने से अब हमें बेटा बन ने की ज़रूरत नहीं है , दीदी ? 

क्यूँकि पापा उसे ‘मेरा भविष्य’ बुलाते हैं ।

दीदी के होने पर तो सब ख़ुश हुए होंगे। पहला बच्चा तो सबको प्यारा होता है । सब माता पिता , दादा दादी, नाना नानी बन ने की ख़ुशी जताते हैं । 

पर मेरे पैदा होने पे कैसा महसूस हुआ था आपको , mummy? 

पापा को तो ‘अपने भविष्य’ की उम्मीद होगी ? क्या आप सब मुझे देख कर खुश हुए थे , या परिवार पूरा ना होने पर निराश? 

मुझे छोटा बहुत पसंद है। उसके आने की बहुत ख़ुशी है मुझे । 

क्यूँकि उसके आने से आपको लोगों को जवाब नहीं देने पड़ते । 

आपको कोई बेचारा नहीं समझता ।

पहले जैसे हर कोई आपको दुखी हो के दिखाता था , जब आप उन्हें बताते थे कि दूसरी भी बेटी है , अब वो बेटे का सुन कर चैन की साँस लेते हैं , जैसे उनके कन्धे से कोई बोझ उठ गया । वरना उन्हें आपको सांत्वना देनी पड़ती , हमेशा की तरह । 

मेरे class में first आने पर आप बहुत ख़ुश हुए थीं। मैं आपकी होनहार बेटी हूँ , आपने कहा था । पर क्या mummy , दूसरी बेटी अगर साधारण होती, तब भी उसे उतना ही प्यार मिलता । 

मैं 5 साल की थी जब छोटा हुआ था , पर तब तक मैंने दुनिया और लोगों के बारे में बहुत कुछ सीख लिया । 

इस संसार में लड़की की क्या जगह थी , जीवन के पहले 5 साल में ही पता लग गयी थी । 

आगे एक लम्बी जंग लड़नी है , अपनी जगह बनाने के लिए । 

छोटे के होने से घर में तो बेटा बन ने की race ख़त्म हो गयी , पर दुनिया में अपनी सही जगह पाने की race तो अभी शुरू हुई है ।

– ‘दूसरी बेटी ‘

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